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आयना

मुझको मुझी से मिलाती है तु,

सच्चाई का आयना दिखाती है तु।

दुसरो में खामियां ढुढती थी मैं,

मेरी खामियों को दिखाती है तु।

दुसरो में खुद को ढुढती थी मैं, 

मुझमें ही मैं हूं बताती है तु।

गलती को गलती बताती थी मैं,

दुनिया को झूठा बताती थी मैं।

दुनिया गलत और मैं ही सही,

खुद को यही समझाती थी मैं।

तूने मुझे आज मेरी जगह,

कितनी है नीचे दिखती है तु।

आत्म निर्भर सभी को बनाती है तु,

मंजिल सभी को दिलाती है तु।

दुनिया गलत और तु ही सही,

सबको यही समझाती है तु।

दुनिया से मतलब रहे न रहे, 

खुद से है मतलब बताती है तु ।

मुझको मुझी से मिलाती है तु,

सच्चाई का आयना दिखाती ।


 

वंशिका द्वारा लिखित (वंशिका से मिलने के लिए क्लिक करें)

नॉवेलमिंट द्वारा प्रकाशित




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